अंकिता भंडारी हत्याकांड: कोटद्वार कोर्ट ने आरोपियों को दोषी ठहराया
कोर्ट की कार्यवाही और फैसले के प्रमुख बिंदु
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अभियोजन पक्ष ने इस केस में 500 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।
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चार्जशीट में 100 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज हैं, जिनमें कई प्रत्यक्षदर्शी शामिल हैं।
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इस केस की जांच विशेष जांच टीम (SIT) ने की, जिसमें तकनीकी साक्ष्यों के साथ-साथ सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड और मेडिकल रिपोर्ट को भी आधार बनाया गया।
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पुलकित आर्य को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 354 (महिला की गरिमा भंग करना), और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया है।
कोर्ट ने यह माना कि पुलकित और उसके साथी जानबूझकर अंकिता को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे और अंततः उसकी हत्या की गई। फिलहाल सजा की घोषणा अभी बाकी है, जिसे कोर्ट आने वाले दिनों में सुनाएगा।
पीड़ित परिवार की प्रतिक्रिया
अंकिता की मां ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह न्याय से संतुष्ट हैं लेकिन दोषियों को सख्त से सख्त सजा, फांसी दिए जाने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले में सरकार और प्रशासन को पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह मामला न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा और कार्यस्थलों पर शोषण के खिलाफ आवाज़ बनने का प्रतीक बन गया है। जब अंकिता की हत्या सामने आई थी, तब राज्य भर में आक्रोश देखने को मिला। विरोध-प्रदर्शनों, कैंडल मार्च और सोशल मीडिया कैंपेन के ज़रिए लोगों ने न्याय की मांग की।
कई सामाजिक संगठनों और महिला आयोगों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक ‘न्याय की जीत’ है और इससे महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों में डर पैदा होगा।
आगे की कार्यवाही
अब अदालत द्वारा दोषियों की सजा का ऐलान किया जाना बाकी है। संभावना जताई जा रही है कि दोषियों को आजीवन कारावास या फांसी की सजा सुनाई जा सकती है, हालांकि अंतिम निर्णय कोर्ट के विवेक पर निर्भर करेगा।
अंकिता भंडारी का मामला उस सच्चाई को उजागर करता है जिसमें सत्ता, पैसे और प्रभाव के आगे न्याय को रोकने की कोशिशें की जाती हैं। लेकिन इस मामले में कोर्ट के फैसले से यह संदेश गया है कि चाहे आरोपी कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून के हाथ लंबे होते हैं।



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