21 मई: राजीव गांधी की पुण्यतिथि, एक स्मृति और संदेश

नई दिल्ली, 21 मई 2025: आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 34वीं पुण्यतिथि है। इस दिन को पूरे देश में “आतंकवाद विरोधी दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है, ताकि देशवासियों को आतंकवाद के खतरे से आगाह किया जा सके और शांति एवं सद्भाव के महत्व को समझाया जा सके।

राजीव गांधी की शहादत: लोकतंत्र पर हमला

21 मई 1991 को जब राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे, तभी LTTE (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) से जुड़ी एक आत्मघाती महिला हमलावर धनु उन्हें माला पहनाने के बहाने पास आई। राजीव गांधी झुके ताकि वह माला पहना सके, ठीक उसी समय विस्फोट हुआ। विस्फोट इतना भयानक था कि राजीव गांधी सहित कई अन्य लोग मौके पर ही शहीद हो गए। LTTE श्रीलंका में तमिल राज्य की मांग कर रहा था और भारत द्वारा श्रीलंका को सैन्य सहायता देने के कारण वह नाराज़ था।


इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया और भारतीय राजनीति में एक बड़ा मोड़ ला दिया। उनकी मृत्यु के बाद, भारत सरकार ने 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस (Anti-Terrorism Day) घोषित किया।

आतंकवाद विरोधी दिवस: क्यों जरूरी है ये दिन?

इस दिन को मनाने का प्रमुख उद्देश्य लोगों को आतंकवाद और हिंसा के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करना, युवाओं में शांति, सहिष्णुता और एकता की भावना को मजबूत करना और देश की एकता और अखंडता के प्रति जागरूकता बढ़ाना हैं।


देशभर के सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों में आज संकल्प लिया जा रहा है कि भारत को आतंकवाद से मुक्त और शांतिप्रिय राष्ट्र बनाया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिताएं और प्रभात फेरियां आयोजित की जा रही हैं।

राजीव गांधी: एक युवा और दूरदर्शी नेता

राजीव गांधी केवल 40 वर्ष की उम्र में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने थे। उनका कार्यकाल तकनीकी और सूचना क्रांति की नींव रखने वाला माना जाता है। उन्होंने आईटी, टेलीकॉम, और शिक्षा सुधार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिनका लाभ आज की युवा पीढ़ी उठा रही है।

उनकी सोच "21वीं सदी का भारत" थी – एक आधुनिक, डिजिटल और वैश्विक भारत।

जनता की आवाज़

इस दिन को लेकर लोगों में मिली-जुली भावनाएं हैं। एक तरफ राजीव गांधी के योगदान को याद किया जाता है, तो दूसरी ओर यह दिन हमें बार-बार आतंकवाद की भयावहता की याद भी दिलाता है।

"हमें नफरत और हिंसा की नहीं, शिक्षा और शांति की ज़रूरत है। यही आतंकवाद विरोधी दिवस का असली संदेश है।" – एक छात्रा, नई दिल्ली
21 मई सिर्फ एक तारीख नहीं है, यह एक स्मरण भी है और संकल्प भी।
राजीव गांधी की शहादत हमें यह सिखाती है कि आतंकवाद किसी एक व्यक्ति पर नहीं, पूरे राष्ट्र पर हमला है। आज का दिन हम सभी के लिए एक अवसर है कि हम मिलकर एक सशक्त, शांतिपूर्ण और एकजुट भारत की ओर कदम बढ़ाएं।

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