दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया सीमा पर लाउडस्पीकर प्रसारण बंद किया, शांति बहाली की दिशा में पहला कदम
11 June | Ap
सियोल: दक्षिण कोरिया की सेना ने उत्तर कोरिया की सीमा पर वर्षों से जारी लाउडस्पीकर प्रसारणों को बंद कर दिया है। यह निर्णय देश की नई उदारवादी सरकार द्वारा दो कोरियाई देशों के बीच बढ़े तनाव को कम करने के लिए उठाया गया पहला ठोस कदम माना जा रहा है।
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि यह कदम "कोरियाई प्रायद्वीप में शांति को बढ़ावा देने और आपसी विश्वास बहाल करने" के प्रयासों का हिस्सा है। यह निर्णय ऐसे समय आया है जब हाल ही में ली जे-म्योंग ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पद की शपथ ली है। उन्होंने पिछले सप्ताह पदभार संभाला था, जब पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योएल को पद से हटा दिया गया था।
मनोवैज्ञानिक युद्ध की पृष्ठभूमि
पिछले वर्ष जून में दक्षिण कोरिया ने उत्तरी कोरिया की ओर दोबारा से लाउडस्पीकर प्रसारण शुरू किए थे। यह कदम उस समय उठाया गया था जब उत्तर कोरिया ने कचरे से भरे हजारों गुब्बारे दक्षिण कोरिया की ओर उड़ाए थे। इन गुब्बारों में कचरा, कपड़े के टुकड़े, सिगरेट की बट और यहां तक कि मल-मूत्र भी शामिल थे।
उत्तर कोरिया की यह मनोवैज्ञानिक युद्ध की रणनीति उन गुब्बारों के जवाब में थी, जिन्हें दक्षिण कोरियाई कार्यकर्ताओं ने भेजा था। इन गुब्बारों में उत्तर कोरिया-विरोधी पर्चे, यूएसबी ड्राइव्स, के-पॉप संगीत और लोकप्रिय दक्षिण कोरियाई ड्रामे शामिल थे।
उत्तर कोरिया का शासन विदेशी आलोचनाओं को लेकर बेहद संवेदनशील है, विशेष रूप से जब वह उसके तानाशाही शासन और तीसरी पीढ़ी के नेता किम जोंग उन से संबंधित हो। इन घटनाओं ने उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव को और बढ़ा दिया, खासकर ऐसे समय में जब उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रहा है।
तनाव घटाने की पहल
नई सरकार के सत्ता में आने के बाद यह फैसला, जो लाउडस्पीकरों को बंद करने से जुड़ा है, दोनों देशों के बीच संवाद की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। ली जे-म्योंग ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि वे उत्तर कोरिया के साथ संबंधों को बेहतर करेंगे और बातचीत की प्रक्रिया को पुनर्जीवित करेंगे।
पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योएल की सख्त नीतियों के कारण उत्तर कोरिया ने किसी भी प्रकार की बातचीत से इनकार कर दिया था। ऐसे में यह नई पहल उत्तर कोरिया की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया ला सकती है, हालांकि अभी तक उत्तर कोरिया की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
क्षेत्रीय सुरक्षा और कूटनीति
गौरतलब है कि दोनों कोरियाई देश तकनीकी रूप से अब भी युद्ध की स्थिति में हैं, क्योंकि 1950-53 के कोरियाई युद्ध के बाद कोई शांति समझौता नहीं हुआ है। हाल के वर्षों में उत्तर कोरिया द्वारा मिसाइल परीक्षण और दक्षिण कोरिया की अमेरिका और जापान के साथ सैन्य साझेदारी ने इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया था।
दक्षिण कोरिया का यह नया रुख दिखाता है कि वर्तमान सरकार सैन्य जवाबी कार्रवाइयों के बजाय संवाद और कूटनीति के रास्ते पर चलना चाहती है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया की प्रतिक्रिया ही यह तय करेगी कि यह प्रयास कितना सफल रहेगा।

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