Digital India Foundation Opposes Pakistan’s Membership Bid in AI Alliance Network, Citing Security Threats

 नई दिल्ली: डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (DIF) ने एआई एलायंस नेटवर्क (AI ANET) में पाकिस्तान के एआई टेक्नोलॉजी सेंटर (AI TeC) की सदस्यता के आवेदन का कड़ा विरोध किया है। DIF ने कहा है कि पाकिस्तान की सदस्यता गठबंधन की विश्वसनीयता, सुरक्षा और साझा मूल्यों के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगी।

डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को व्यवस्थित समर्थन, FATF द्वारा जारी जांच, AI TeC की विशेष प्रयोगशालाओं के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के संभावित सैन्यकरण, और पाकिस्तान के AI तंत्र में जवाबदेही की कमी, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और AI ANET के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

DIF ने क्यों जताई आपत्ति?

डॉ. अरविंद गुप्ता, सह-संस्थापक और प्रमुख, डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने कहा: “AI TeC की सदस्यता का आवेदन पाकिस्तान द्वारा हमारे अनुसंधान, विकास और प्रौद्योगिकी तक पहुँचने का एक तरीका है ताकि अपनी विशेष प्रयोगशालाओं के माध्यम से AI को हथियार बनाया जा सके। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा न हो।”

उन्होंने हालिया पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाक संघर्ष का हवाला देते हुए कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करने के प्रयासों में लगा हुआ है, जिसके लिए भारत को सतर्क रहना होगा।

सैन्य और साइबर खतरों की आशंका

डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने AI TeC के स्वायत्त AI और निर्णय सहायता प्रयोगशाला, कंप्यूटर विज़न प्रयोगशाला, एज कंप्यूटिंग सॉफ्टवेयर ऑप्टिमाइजेशन लैब जैसी प्रयोगशालाओं पर चिंता जताई। फाउंडेशन ने कहा कि इनका उपयोग आक्रामक साइबर अभियानों, सीमा पार हमलों और स्वायत्त लक्ष्यीकरण प्रणालियों में किया जा सकता है।

फाउंडेशन ने चेताया कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश के हाथों में ऐसी तकनीकें गैर-सरकारी आतंकी समूहों की क्षमताओं में इजाफा कर सकती हैं। DIF ने 2025 की अमेरिकी कंट्री रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए पाकिस्तान द्वारा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को संरक्षण दिए जाने की बात कही।

FATF और मनी लॉन्ड्रिंग की चिंताएं

डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने कहा कि पाकिस्तान की FATF की ग्रे-लिस्ट स्थिति, आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर नियंत्रण में विफलता को दर्शाती है। DIF ने आगाह किया कि AI TeC की डेटा साइंस लैब और क्वांटम मशीन लर्निंग एवं कॉग्निटिव कंप्यूटिंग लैब का दुरुपयोग चरमपंथी नेटवर्कों के लिए अवैध फंडिंग और क्रिप्टोकरेंसी आधारित फंड रेजिंग को ऑटोमेट करने में किया जा सकता है।

लोकतांत्रिक और जवाबदेह ढांचे का अभाव

DIF ने कहा कि AI ANET के सदस्य देशों में: लोकतांत्रिक संस्थाएँ, लागू करने योग्य डेटा संरक्षण कानून, स्वतंत्र निरीक्षण निकाय मौजूद हैं, जो जिम्मेदार और नैतिक AI विकास सुनिश्चित करते हैं।

जबकि पाकिस्तान में ऐसा कोई ढांचा नहीं है। DIF ने बताया कि पाकिस्तान का AI पारिस्थितिकी तंत्र शिक्षा, अनुसंधान और शासन में गंभीर कमजोरियों से जूझ रहा है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय AI नीति का मसौदा अस्पष्ट और अप्रभावी है, और वहां राष्ट्रीय डेटा सुरक्षा कानून का अभाव है।

पाकिस्तान में सैन्य-प्रधान AI रणनीति

DIF ने कहा कि पाकिस्तान वायु सेना के केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटिंग सेंटर (CENT AI C) जैसी सैन्य-प्रधान संस्थाएँ पाकिस्तान की AI रणनीति को नियंत्रित कर रही हैं, जिससे नागरिक नवाचार कमजोर हो रहा है। DIF के अनुसार, ऐसे सैन्यीकृत ढांचे में AI TeC का एकीकरण, AI ANET के शांतिपूर्ण वैश्विक सहयोग और सार्वजनिक भलाई के मिशन के खिलाफ है।

डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने अपने पत्र में AI ANET के सदस्यों से आग्रह किया कि वे गठबंधन की अखंडता, वैश्विक AI सहयोग की रक्षा और जिम्मेदार, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तकनीकी प्रगति को सुरक्षित रखने के लिए पाकिस्तान के AI TeC के आवेदन को पूरी तरह अस्वीकार करें।

DIF ने स्पष्ट कहा: “पाकिस्तान की सदस्यता AI ANET के मिशन के मूल में चुनौती खड़ी करेगी, और हम इस खतरे को दरकिनार नहीं कर सकते।”

क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?

  • पाकिस्तान की सदस्यता से क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को खतरा। 
  • AI का संभावित हथियारकरण और आतंकवादियों को नई तकनीकी क्षमताओं तक पहुंच। 
  • FATF ग्रे लिस्टिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर असफलता के कारण वित्तीय जोखिम। 
  • लोकतांत्रिक और जवाबदेह AI ढांचे का पाकिस्तान में अभाव। 
  • भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी नेतृत्व की रक्षा के लिए सतर्कता की आवश्यकता।

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