UK-India Defence Ties: How UKIBC Suggests Deepening Strategic Cooperation with India

नई दिल्ली: यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल (UKIBC) ने एक नई रिपोर्ट जारी कर भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करने के लिए स्पष्ट रणनीतिक दिशाएँ और ठोस सुझाव दिए हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के मिशन के तहत 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों को गति दे रहा है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत और यूके के बीच सरकारी स्तर पर मजबूत रणनीतिक संचार और जी2जी संबंधों को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है ताकि रक्षा सहयोग की दिशा में ठोस प्रगति हो सके। इसके साथ ही, यूके-भारत रक्षा एमएसएमई हब स्थापित करने का सुझाव दिया गया है, जिससे छोटे और मझोले रक्षा उद्यम भारत में अपने उत्पाद और सेवाएं सहजता से विस्तारित कर सकें। 

रिपोर्ट में ब्रिटेन को भारत के साथ सह-विकास, सह-उत्पादन और बौद्धिक संपदा सह-निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी गई है ताकि भारतीय रक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप कस्टम समाधान तैयार किए जा सकें। इसके अलावा, ब्रिटिश रक्षा कंपनियों को भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने और स्थानीय स्तर पर निर्माण क्षमताओं में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ब्रिटेन की एआई, साइबर और एयरोस्पेस तकनीकी क्षमताओं का लाभ भारत की रणनीतिक जरूरतों के अनुसार उठाया जा सकता है, जिससे अगली पीढ़ी की रक्षा और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाई जा सके।

रक्षा विनिर्माण में भारत की प्रगति

भारत रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण में वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हाल ही में, भारत ने लगभग 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियां और पुर्जों का निर्यात किया। 2024-25 में रक्षा निर्यात 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और सरकार ने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये वार्षिक रक्षा निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

मेक इन इंडिया पहल ने रक्षा उत्पादन को नई ऊंचाई पर पहुँचाया है। इसके परिणामस्वरूप, सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनियों में निवेशकों को लाभ मिला है, जिससे रक्षा निर्माण क्षेत्र में निवेश का वातावरण और मजबूत हुआ है।

UKIBC की रणनीतिक दृष्टि

UKIBC के भारत अध्यक्ष किशोर जयरामन ने कहा: "एक अग्रणी रक्षा विनिर्माण और नवाचार केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा ब्रिटेन के लिए एक सामयिक और रणनीतिक अवसर प्रस्तुत करती है। साझा मूल्यों और सहयोग के मजबूत इतिहास वाले विश्वसनीय साझेदारों के रूप में, यूके और भारत अगली पीढ़ी की रक्षा और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों का सह-निर्माण करने की अद्वितीय स्थिति में हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट का उद्देश्य उन ब्रिटिश फर्मों को रणनीतिक दिशा और व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करना है जो भारत के उभरते रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में कदम रखने की योजना बना रही हैं। दीर्घकालिक साझेदारी, स्थानीय क्षमता निर्माण और संयुक्त नवाचार में निवेश करने वाली कंपनियों को ही इस क्षेत्र में सफलता मिलेगी।

रक्षा अधिग्रहण में सहयोग

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ब्रिटिश फर्मों को भारतीय रक्षा खरीद प्रणाली के अनुरूप अपने आप को ढालना चाहिए। इसके अलावा, भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय को रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) को और परिष्कृत करने के लिए सुझाव दिए गए हैं ताकि विदेशी साझेदारों के लिए पारदर्शिता और गति सुनिश्चित हो सके।

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी

UKIBC ने यह भी सुझाव दिया कि ब्रिटेन भारत आधारित अनुसंधान, विनिर्माण और सह-विकास के माध्यम से स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण में मदद कर सकता है। इसके साथ ही, भारत को ब्रिटेन और वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं में सम्मिलित कर रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम दिया जा सकता है।

भारत में रक्षा क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास और निर्यात में वृद्धि के साथ, ब्रिटेन के लिए भारत के साथ रणनीतिक रक्षा साझेदारी को मजबूत करना दीर्घकालिक लाभ और स्थिरता प्रदान कर सकता है। यह रिपोर्ट रक्षा, एयरोस्पेस और उच्च तकनीकी क्षेत्रों में संयुक्त विकास को बढ़ावा देने और दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा आवश्यकताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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